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Tuesday, September 8, 2020
THEORY OF INNOVATION IN HINDI/ नवप्रवर्तन का सिद्धांत
THEORY OF
INNOVATION नवप्रवर्तन
का सिद्धांत
शशि अग्रवाल इकनोमिक तथा लॉ क्लासेस
SHASHIAGGARWAL ECONOMICS AND AW CLASSES
नवप्रवर्तन का सिद्धांतकी
व्याख्या कीजिए नवप्रवर्तन का सिद्धांत
नवप्रवर्तन का सिद्धांत
शुंपीटर के
अनुसार आर्थिक विकास का मुख्य कारण नवप्रवर्तन हैIजब अर्थव्यवस्था में नवप्रवर्तन किए जाते हैं तो आर्थिक विकास और
समुद्री की स्थिति उत्पन्न हो जाती है Iइसके इसके उल्ट जब नवप्रवर्तन का प्रभाव समाप्त हो
जाता है तो अर्थव्यवस्था में मंदी की स्थिति पैदा हो जाती हैIपरंतु अर्थव्यवस्था हमें हमेशा संतुलन के नीचे बिंदु से ऊंचे बिंदु
की ओर जाती है यह अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास का प्रतीक है
प्रसिद्ध
जर्मन अर्थशास्त्री 1911 में प्रकाशित अपनी बुक THEORY OF
ECONOMIC DEVELOPMENT”आर्थिक विकास के मॉडल का प्रतिपादन किया हैIउनके मुताबिक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में नवप्रवर्तन के कारण आर्थिक
विकास की प्रक्रिया शुरू होती है ,इस प्रक्रिया के कारण अर्थव्यवस्था में जो प्रवचन
आते हैं वह लगातार नहीं होते परंतु हमेशा संतुलन के नीचे बिंदु से ऊंचे बिंदु
की ओर जाती है यह अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास का प्रतीक है
मान्यताएं ASSUMPTIONS
मान्यताएं
आर्थिक जीवन आर्थिक जीवन एक चक्रीय प्रवाह है
अर्थव्यवस्था
में पूर्ण प्रतियोगिता पाई जाती है।
आर्थिक
विकास होने वाली DISCONTINUOUS प्रक्रिया हैi
उद्यमियों
उद्यमी तथा नवप्रवर्तन को साख आसानी से मिल जाता हैi
अर्थव्यवस्था generally संतुलन की अवस्था में रहती है
नवप्रवर्तन का सिद्धांत
Schumpter मुताबिक STABLE संतुलन की वजह से आर्थिक विकास की
प्रक्रिया उद्यमियों तथा नवप्रवर्तन का के द्वारा शुरू की जाती हैi
व्यवसाय का
जोजोखम उठाते हैं तथा नए नए
अविष्कार करते हैंi
Schumpter विकास मॉडल ने इनको बहुत ही
महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है इन्हें उद्योगों का कप्तान भी माना जाता है।
Schumpter मुताबिक STABLE संतुलन की वजह से आर्थिक विकास की
प्रक्रिया उद्यमियों तथा नवप्रवर्तन का के द्वारा शुरू की जाती हैi
व्यवसाय का
जोजोखम उठाते हैं तथा नए नए
अविष्कार करते हैंi
कंप्यूटर
के विकास मॉडल ने इनको बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है इन्हें उद्योगों
का कप्तान भी माना जाता है।
IN 1949 HE ADVOCATED A DYNAMIC THEORY OF ENTRPRENEURSHIP AND CONSIDERED
ENTREPRENEUR IS A CREATIVE ACTIVITY AND THE ENTREPRENEUR IS INNOVATOR.
नवप्रवर्तन का सिद्धांत
SCHUMPETER में नवप्रवर्तन को आर्थिक विकास
का मुख्य कारण माना है। उसके अनुसार आर्थिक विकास ऑटोमेटिक नहीं होता। यह
नवप्रवर्तन के कारण शुरू होता है।
अर्थव्यवस्था
में उद्यमी या नवप्रवर्तक नवपरिवर्तनों को लागू करते हैं I
नवप्रवर्तन
को लागू करते हैंi
नवप्रवर्तन की आविष्कार से लागत
कम होती है तथा नई वस्तुओं के उत्पादन में सहायता प्राप्त होती हैi
उद्यमी ग्रोथ का इंजन मानते हैंi
MOTIVATED
AND TALENTED
उद्यमी
आर्थिक विकास के बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
BEARS RISK
AND UNCERTAINTY
TYPES OF INNOVATION नवप्रवर्तन
प्रकार
नई वस्तु
की प्रचलन (
INNOVATION OF NEW GOODS)
उत्पादन के नए तरीके का इस्तेमाल
करना . THE USE
OF NEW METHODS OF PRODUCTION
नए बाजार
का विकास करना I THE OPENING OF NEW MARKET
कच्चे माल
की पूर्ति के लिए नए स्रोतों का पता लगाना. FINDING
OF NEW SOURCE OF RAW MATERIALS
किसी
इंडस्ट्री का पुनर्गठन किया जाना I THE ORGANIZATION OF INDUSTRY
TYPES OF INNOVATION
नवप्रवर्तन का सिद्धांत
नवप्रवर्तकऐसा तकनीकी ज्ञान उपलब्ध होना
चाहिए ,जिसके द्वारा नई वस्तुओं के
उत्पादन कर सके तथा नए तरीकों से उन्नति के साधन का प्रयोग कर सकेंI
नवप्रवर्तक
के लिए दूसरी आवश्यकता पूंजी की होती हैIनवप्रवर्तक पूंजी बचत के रूप से प्राप्त नहीं करता वाले बैंकों से CREDIT के रूप में प्राप्त हो सकता है
जब कोई
नवप्रवर्तकअधिकतम लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से
अर्थव्यवस्था में कोई नवप्रवर्तन लागू करता है Iतो उसके लाभों में तेजी से वृद्धि
होती है। नवप्रवर्तकलागू करने के लिए बैंकों से CREDITप्राप्त हो जाती है उनकी की कोई कमी नहीं होती जिसके कारण के PROGRESS बढ़नी शुरू हो जाती है
अर्थव्यवस्था में आशावादी की लहर शुरू हो जाती है आर्थिक विकास की कुछ समय तक
चलती है नीचे की ओर जाती है करने लग जाती है
CRITICISM आलोचना
आलोचना
नवप्रवर्तकयह प्रवृति को आवश्यकता से ज्यादा
महत्व दिया हैIआज के युग में उद्यमी का अधिक महत्व नहीं रह गया उतनी का काम काफी
सीमित हो गया है I
ज्यादातर
काम जो है वेतन भोगी प्रबंधक करते हैं I
नवप्रवर्तक
कार्य भी योगी संगठनों के द्वारा किया जाता है यह मानना था कि यदि उद्यमी
आर्थिक विकास का केंद्र है तकनीकी प्रगति आर्थिक विकास का मुख्य साधन है तकनीकी प्रगति के अलावा कोई और तत्व होते हैं जैसे पूंजी के संचय
आदि का भी प्रभाव पड़ता है ने इन तत्वों की अवहेलना की है
Bhot sukriya
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