Sunday, March 8, 2020

NATURE AND SCOPE OF PUBLIC FINANCE IN HINDI सार्वजनिक वित्त की प्रकृति तथा क्षेत्र


  • सार्वजनिक वित्त की प्रकृति तथा क्षेत्र
  •  NATURE AND SCOPE OF PUBLIC FINANCE)
  • SHASHI AGGARWAL ECONOMICS AND LAW CLASSES
  • PUBLIC FINANCE

  
  • लोक वित्त को को अंग्रेजी में PUBLIC FINANCE कहते हैं जो कि पब्लिक तथा FINANCE दो शब्दों से मिला है
  •  यहां पर पब्लिक शब्द का अर्थ जनता से ना होकर जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्थाएं जैसे सार्वजनिक संस्थाएं अथवा सरकार से है I
  • तथा FINANCE  शब्द आय प्राप्त करना तथा व्यय करना है I
  • PUBLIC FINANCE अर्थ सरकार के वित्त संबंधी क्रियाओं के अध्ययन से हैं जिसके अंदर राजकीय आय, राजकीय व्यय तथा राजकीय  के वित्तीय प्रबंध को शामिल किया जाता है

  • सार्वजनिक वित्त मतलब 
    ( MEANING OF PUBLIC FINANCE)
  • सार्वजनिक वित्त मतलब किसी देश के सरकार के वित्तीय साधनों मतलब आय तथा व्यय से हैं I
  • अन्य शब्दों में सरकार की आय तथा व्यय समस्याओं के अध्ययन को सार्वजनिक वित्त कहते हैंi
  • अनुसार सार्वजनिक वित्त सरकारी अधिकारियों द्वारा उत्तर इकट्ठा करने के लिए की जाने वाली आय तथा व्यय का महत्व नहित सिद्धांतों का अध्ययन हैi हैं
  • PROF FINALY SHIRRAS, PUBLIC FINANCE IS THE STUDY OF PRINCIPLES UNDERLYING THE SPENDING AND RAISING OF FUNDS BY PUBLIC AUTHORITIES.
  • डाल्टन के अनुसार सार्वजनिक वित्त ऐसा विषय है जो सार्वजनिक अधिकारियों के आपसे सहयोग से किए गए आय-व्यय का अध्ययन करता हैi
  • PROF DALTON,” SUBJECT WHICH IS CONCERNED WITH INCOME AND EXPENDITURE OF PUBLIC AUTHORITIES AND WITH THE ADJUSTMENT OF THE ONE TO OTHER.”
  •  इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सार्वजनिक वित्त केंद्रीय, राज्य सरकारों. स्थानीय सरकारों के वित्त संबंधी विषय का अध्ययन है I
  • अर्थशास्त्र में सरकार की भूमिका का अध्ययन लोक वित्त कहलाता है यह अर्थशास्त्र की वह शाखा है जो सरकार के आय तथा वह का विस्तृत अध्ययन करती है
  • राजस्व की विषय सामग्री ( SCOPE OF PUBLIC FINANCE)
    1. PUBLIC EXPENDITURE
    2. PUBLIC REVENUE
    3. PUBLIC DEBT
    4. FINANCIAL ADMINISTRATION
    5. ECONOMIC STABILIZATION
  •  
  • राजस्व की विषय सामग्री विभाग :
  • PUBLIC EXPENDITURE : सार्वजनिक व्यय  :
  1. यह राज्यसव का अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग है क्योंकि इसकी शुरुआत सार्वजनिक व्यय अथवा लोक व्यय से ही होती है
  2. सरकार व्यय करने की योजना पहले बनाती है फिर उसके अनुसार आय प्राप्त करने की कोशिश करती है I
  3. लोक व्यय के लोक व्यय के अंतर्गत उन सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है जिसके अनुसार सरकार अपना खर्चा करती है और उसके साथी सार्वजनिक व्यय के प्रभावों का विश्लेषण भी किया जाता है Iकिया जाता है और इसके साथ ही कोशिश होती है कि बढ़ते हुए सर्वजनिक व्यय इसे खर्च किया जाए मुद्रास्फीति ना बढ़े उत्पादन तथा आर्थिक विकास में वृद्धि हो
  • राजस्व की विषय सामग्री
  • PUBLIC REVENUE (सार्वजनिक आय ):सार्वजनिक आय सार्वजनिक खर्चे की पूर्ति हेतु सरकार आय करने की व्यवस्था करती है सार्वजनिक आय के अंतर्गत इस बात का अध्ययन किया जाता है कि सरकार के आय के स्रोत क्या है, आय से संबंधित विभिन्न सिद्धांत क्या है, समस्याएं कौन-कौन सी हैं Iसार्वजनिक आय के अलग-अलग स्रोतों का अध्ययन किया जाता हैi
  • सरकार को 2 तरीके से कमाई होती है
  • टैक्स रेवेन्यू इसमें कई तरह के टैक्स शामिल होते हैं डायरेक्ट टैक्स जिसे व्यक्ति को खुद ही देना होता है इनकम टैक्स, कॉरपोरेशन टैक्स वेल्थ टैक्स
  •  इनडायरेक्ट टैक्स जिसके अंदर जीएसटी आ जाता है
  • नॉन टैक्स रेवेन्यू यह वह राशि है जो सरकार टैक्स के अतिरिक्त अन्य साधनों से कट्ठा करती है i
  • सार्वजनिक ऋण ( PUBLIC DEBT); अर्थशास्त्र का यह मानना है कि बजट संतुलन ना चाहिए क्योंकि राज्य राज्य की कार्यों की वृद्धि होने के कारण सरकार को सार्वजनिक आय के मुकाबले में ज्यादा खर्च करना पड़ता है और इसके लिए उसे ऋण का सहारा लेना पड़ता हैi
  • सार्वजनिक ऋण के अंतर्गत ऋण के स्रोत क्या है, इसके विभिन्न स्रोत क्या है ,इसका किस तरह से भुगतान किया जाएगा, और इसका प्रभाव क्या होगा और भार क्या होगा उसको अध्ययन किया जाता है.
  • SOURCES OF PUBLIC DEBT :
  1. INTERNAL DEBT’
  2. EXTERNAL DEBT
  •  

  • वित्तीय प्रशासन  ( FINANCIAL ADMINISTRATION ) : राज्यस के अंतर्गत सार्वजनिक व्यय आय तथा ऋण की व्यवस्था के लिए प्रशासन तंत्र की आवश्यकता होती हैi
  •  जैसे सार्वजनिक आय का एक अलग से विभाग होता है जिसके अंतर्गत बचत को प्रोत्साहित किया जाता है I
  • सार्वजनिक व्यय को भी अलग रूप से प्रबंध and नियंत्रित किया जाता हैi
  •  सार्वजनिक ऋण का भी लेनदेन का पूरा हिसाब रखा जाता हैi
  •  वित्तीय प्रशासन से मतलब है सरकार की शासन व्यवस्था और संगठन से है जिसके द्वारा सरकार अपने वित्तीय क्रियाओं का प्रबंध करती है:
  •  इसके अंदर बजट का निर्माण पारित और क्रिया मत होना
  • कर के लिए व्यवस्था
  • व्यय व्यवस्था का संचालन
  • लोक वित्त KA AUDITING AND उस पर नियंत्रण
  • आर्थिक स्थायित्व (ECONOMIC STABILIZATION)—
  1. लोकवित्त के इस विभाग में देश के आर्थिक स्थायित्व के लिए राजकोषीय नीति के प्रयोगों का अध्ययन किया जाता है।
  2. इस शाखा को कार्यात्मक वित्त (FUNCTIONAL FINANCE) भी कहते हैं। इस विभाग के अन्तर्गत देश में पूर्ण रोजगार को बनाये रखने, व्यापार चक्रों पर नियन्त्रण लगाने और मुद्रा स्फीति मुद्रा-संकुचन पर अंकुश लगाने के लिए राज्य की वित्तीय, राजकोषीय तथा अन्य व्यापक आर्थिक क्रियाओं का समावेश होता है।
  3.  
  • सार्वजनिक वित्त की प्रकृति
    ( NATURE OF PUBLIC FINANCE)
  • सार्वजनिक वित्त की प्रकृति से अभिप्राय इस बात की विवेचना से है कि सार्वजनिक वित्त विज्ञान अथवा कला है या दोनों ही है।
  • सार्वजनिक वित्त की प्रकृति के विषय में यह भी प्रश्न उत्पन्न होता है कि यह केवल वास्तविक विज्ञान है या आदर्शात्मक विज्ञान भी।

  • सार्वजनिक वित्त एक वास्तविक विज्ञान है
    PUBLIC FINANCE AS SCIENCE
  1. सार्वजनिक वित्त एक वास्तविक विज्ञान है
  2. विज्ञान किसी विषय का क्रमागत अध्ययन है जिसमें तथ्यों के कारण तथा परिणाम का अध्ययन किया जाता है।
  3.  सार्वजनिक वित्त में सरकार के आय तथा व्यय सम्बन्धी विषय का क्रमागत अध्ययन किया जाता है।
  4. इसमें सरकार की आय तथा व्यय सम्बन्धी तथ्यों में पाये जाने वाले कारण तथा परिणाम के सम्बन्ध का भी अध्ययन किया जाता है।
  5. उदाहरण के लिए,सार्वजनिक वित्त के अध्ययन से ज्ञात होता है कि यदि कर ऊंची दर पर लगाये जायेंगे तो उनका उत्पादन तथा उपभोग पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।इस प्रकार सार्वजनिक वित्त एक वास्तविक विज्ञान है।

  • सार्वजनिक वित्त वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्शात्मक विज्ञान भी
  1. सार्वजनिक वित्त वास्तविक विज्ञान के साथ-साथ आदर्शात्मक विज्ञान भी है क्योंकि सार्वजनिक वित्त के अध्ययन से यह भी ज्ञात होता है कि कर कितनी मात्रा में लगाये जाने चाहिए।
  2. सार्वजनिक व्यय कौन सी मदों पर अधिक तथा कौन सी मदों पर कम किया जाना चाहिए। इस प्रकार सार्वजनिक वित्त एक आदर्शात्मक विज्ञान भी है।
  3. अन्य शब्दों में इसका अर्थ यह है कि सार्वजनिक वित्त द्वारा केवल कार्यों की व्याख्या ही नहीं की गई है, बल्कि यह अच्छे है या बुरे हैं, यह मूल्यांकन भी किया जाता है।
  4. सार्वजनिक वित्त का यह कल्याणकारी पहलू ही इसको आदर्शात्मक विज्ञान बनाता है। इसलिए सार्वजनिक वित्त ‘क्या होना चाहिए’ से भी संबंधित हैं।

  • सार्वजनिक वित्त एक कला है
    PUBLIC FINANCE AS  AN ART
  • कला निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ज्ञान का प्रयोग है।
  • सार्वजनिक वित्त, राजस्व नीति द्वारा सरकार की आय तथा व्यय सम्बन्धी ज्ञान का प्रयोग पूर्ण रोजगार, आर्थिक समानता, आर्थिक विकास, कीमत स्थिरता आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये किया जाता है।
  • उदाहरण के लिए, आर्थिक समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कर प्रगतिशील दर पर लगाये जाते है।
  • कर लगाने की क्रिया निश्चित रुप से एक कला है और बजट बनाना भी स्वयं एक कला है। इस प्रकार सार्वजनिक वित्त का अध्ययन कई व्यावहारिक समस्याओं के अध्ययन में सहायक सिद्ध होता है। अतः सार्वजनिक वित्त एक कला भी है।
  • इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सार्वजनिक वित्त विज्ञान और कला दोनों ही है। यह एक वास्तविक विज्ञान भी है तथा आदर्शात्मक विज्ञान भी है।

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