Tuesday, November 26, 2019

उपयोगिता विश्लेषण पहला भाग ( UTILITY ANALYSIS) PART 1 IN HINDI


·         उपयोगिता विश्लेषण  पहला भाग  ( UTILITY ANALYSIS) PART 1
·         शशि अग्रवाल अर्थशास्त्र तथा लो  क्लासेस

  • पयोगिता विश्लेषण संबंध में दो प्रश्न पैदा होते हैं:
  • पहला प्रश्न अब होता किसी वस्तु अतर से अथवा सेवा की मांग क्यों करता है इसका उत्तर यह है कि उपभोक्ता इसलिए करता है क्योंकि उससे उससे उपयोगिता प्राप्त होती है किसी पदार्थ की आवश्यकता संतुष्ट करने की शक्ति को उपयोगिता कहा जाता है।
  •  दूसरा प्रश्न ही है एक उपभोक्ता को अपनी निश्चित आए विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं पर किस प्रकार खर्च करनी चाहिए जिससे वह अधिकतम संतुष्टि प्राप्त कर सकें जिसको उपभोक्ता का संतुलन भी कहते हैं I अर्थशास्त्रियों ने इस संबंध में तीन सिद्धांत दिए हैं :
  1. गणना वाचक उपयोगिता विश्लेषण ( CARDINAL UTILITY ANALYSIS)
  2. क्रम वाचिक उपयोगिता विश्लेषण अथवा तटस्थता वक्र विश्लेषण ( ORDINAL UTILITY ANALYSIS)
  3. प्रकट अधिमान विश्लेषण (REVEALED PREFERENCE ANALYSIS)
गणना वाचक उपयोगिता विश्लेषण ( CARDINAL UTILITY ANALYSIS
  1. गणना वाचक उपयोगिता विश्लेषण इसको परंपरावादी अर्थशास्त्र अर्थशास्त्री जैसे एडम स्मिथ रिकार्डो विचारों की आलोचना के रूप में किया गया था I
  2.  इस धारणा का विकास डीओपीटी, गोसेन वाले, मैनेजर तथा JEVONS ने किया था I
  3. बीसवीं शताब्दी में मार्शल तथा PIGOU उपयोगिता विश्लेषण की विवेचना की है Iइस सिद्धांत के मुताबिक उपयोगिता को मापा जा सकता हैi
  4.  प्रोफेसर फिशर ने उपयोगिता को युटिल में उपयोगिता में मापा है
  • उपयोगिता का अर्थ
  • उपयोगिता का अर्थ अर्थशास्त्र में उपयोगिता शब्द का प्रयोग किसी भी वस्तु अथवा सेवा के उस गुण के लिए कह जाता है जिसके हमारी आवश्यकता की संतुष्टि होती हैi उपयोगिता किसी वस्तु की वह शक्ति है जो आवश्यकता को पूरा करती है



  • विशेषताएं
  1. उपयोगिता भावगत है : ( UTILITY IS SUBJECTIVE): इसका संबंध मनुष्य की मानसिक संतुष्टि से है Iएक वस्तु की अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग उपयोगिता होती है।
  2. उपयोगिता सापेक्षिक है  :-(UTILITY IS RELATIVE) :इसका अर्थ है एक वस्तु की उपयोगिता एक समान नहीं रहती। वह समय तथा स्थान के साथ बदल जाती है I
  3. ।उपयोगिता का लाभकारी  होना आवश्यक नहीं है  ( UTILITY IS NOT ESSENTIALLY USEFUL):जैसे के शराब या सिगरेट लाभकारी नहीं है परंतु इनसे यदि किसी व्यक्ति की आवश्यकता पूरी होती है तो यह उस व्यक्ति के लिए उपयोगी है।
  4. उपयोगिता का नैतिकता से कोई लेना देना नहीं है  ( UTILITY IS INDEPENDENT OF MORALITY)
  5. उपयोगिता तथा संतुष्टि में अंतर है: DIFFERENT FROM SATISFACTION : उपयोगिता किसी वस्तु का वह गुण है जो हमारी आवश्यकता को पूरा करता है Iआवश्यकता को पूरा होने के पश्चात संतुष्टि मिलती है उपयोगिता कारण है तथा संतुष्टि उसका प्रभाव हैI
  • उपयोगिता की धाराएं ( CONCEPTS OF UTILITY)
  1. प्रारंभिक उपयोगिता
  2. कुल उपयोगिता तथा
  3. सीमांत उपयोगिता।
  • प्रारंभिक उपयोगिता ( INITIAL UTILITY): जब किसी वस्तु का उपभोग शुरू में किया जाता हैI उस वस्तु की पहली इकाई से उपयोगिता प्राप्त होती है उसे प्रारंभिक उपयोगिता कहते हैं। जब हमें भूख लगती है और हम रोटी खाना शुरू करते हैं तो पहले रोटी से मिलने वाली उपयोगिता आरंभिक उपयोगिता कहती है।
  • कुल उपयोगिता  ( TOTAL UILITY):किसी वस्तु की अलग-अलग मात्राओं के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता की इकाइयों के जोर से जोर को कुल उपयोगिता कहा जाता है Iकुल उपयोगिता किसी वस्तु की मात्रा के ऊपर निर्भर करती हैi
  • TU=f(Q)

  • सीमांत उपयोगिता  ( MARGINAL UTILITY):सीमांत उपयोगिता को सबसे पहले प्रसिद्ध अर्थशास्त्री JEVENOS ने किया था उनके मुताबिक एक उपभोक्ता किसी वस्तु के स्टॉक में एक अतिरिक्त इकाई की वृद्धि से जो अतिरिक्त उपयोगिता प्राप्त करता है उसे अंतिम अपयोगिता अथवा सीमांत उपयोगिता कहा जाता हैI JEVENOS सीमांत उपयोगिता के लिए अंतिम उपयोगिता शब्द का प्रयोग किया था। BIJER सबसे पहले इस धारणा के लिए सीमांत उपयोगिता शब्द का प्रयोग किया था I
  • किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इसका अभाव करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है उसे सीमांत उपयोगिता कहा जाता है
  • किसी वस्तु की अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है उसे सीमांत उपयोगिता कहा जाता है।
  • सीमांत उपयोगिता कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि है जो अब भोग में एक इकाई की वृद्धि के कारण होती है
  • DEFINITION OF MARGINAL UTILITY
  • किसी वस्तु की अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है उसे सीमांत उपयोगिता कहा जाता है।
  • PROF CHAMPMAN,”MARGINAL UTILITY IS THE ADDITION MADE TO TTOAL UTILITY BY CONSUMING ONE MORE UNITS OF COMMODITY)
  • सीमांत उपयोगिता कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि है जो उपभोगमें एक इकाई की वृद्धि के कारण होती है
  • BOULDING,” THE MARGINAL UTILITY IS THE INCREASE IN TOTAL UTILITY WHICH RESULT FROM  A UNIT INCREASE IN CONSUMPTION.”

  • MUn= TUn-TUn-1
  • MU=∆TU/=∆Q
  • सीमांत उपयोगिता
  1. धनात्मक यदि किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से कुल उपयोगिता किसी वस्तु की उपयोगिता बढ़ती है
  2. ZERO MARGINAL UTILITY यदि किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से कुल उपयोगिता में कोई परिवर्तन नहीं आता
  3. NEGATIVE MARGINAL UTILITY : यदि किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से कुल उपयोगिताकरने से यदि कुल उपयोगिता घट जाती है

  • RELATION BETWEEN TU AND MU


  • कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता में संबंध कुल उपयोगिता तथा सीमांत उपयोगिता में संबंध और अंतर के महत्व की सबसे पहले  JEVONS व्याख्या कीI कुल उपयोगिता किसी वस्तु की अलग-अलग इकाई उपयोगिता का जोड़ हैI
  • TU=∑MU

  • RELATION BETWEEN TU AND MU

  • RELATION BETWEEN TU AND MU
  • SIGNIFICANCE OF THE DIFFERENCE BETWEEN TOTAL AND MARGINAL UTILITY
  • मूल्य का विरोधाभास (PARADOX OF VALUE) : ACCORDING TO MAY ECONOMISTS यह मान्यता है है जिन वस्तुओं के उपभोग से उपयोगिता ज्यादा प्राप्त होती है उनका मूल्य ज्यादा होना चाहिए तथा उपयोगिता कम होती है उसका मूल कम होना चाहिए I पानी के उपयोग से प्राप्त उपयोगिता शेरों के उपयोग से प्राप्त कुल उपयोगिता से अधिक होती है परंतु पानी का मूल DIAMOND के मुकाबले काफी कम होता है। स्थिति को ही का मूल्य का विरोधाभास कहा जाता हैI किसी वस्तु की कीमत कुल उपयोगिता के स्थान पर सीमांत उपयोगिता द्वारा सिक्स की जाती है।
  • पानी बहुत अधिक मात्रा में प्राप्त होता है पानी से मिलने वाली कुल उपयोगिता शीघ्र ही पूर्णता बिंदु तक पहुंच जाती है सीमांत उपयोगिता शून्य के बराबर हो जाती हैI पानी की कीमत बहुत कम होती है परंतु  DIAMOND कम मात्रा में मिलते हैं उनकी उपयोगिता कभी भी पूर्णता बिंदु तक नहीं पहुंच पातीI योगिता ज्यादा होती है इसी कारण हीरो की कीमत ज्यादा होती है I
  • CONSUMER ‘S SURPLUS (उपभोक्ता की बचत )उपभोक्ता किसी वस्तु के लिए जितने कीमत देने को तैयार होता है अगर वास्तव में वास्तव में उसे कम कीमत देनी पड़े तो इन दोनों के कीमत के अंतर को उपभोक्ता की बचत कहा जाता है।
  • इसका कारण यह है उपभोक्ता वस्तु की विभिन्न इकाइयों से मिलने वाली कुल उपयोगिता के बराबर के देने को तैयार होता है परंतु उससे मिलने वाली  सीमांत उपयोगिता  बराबर देनी पड़ती है




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